रथ सप्तमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन, भक्त सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रथ सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
रथ सप्तमी का त्योहार सूर्य देव के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव ने सात घोड़ों द्वारा खींचे गए रथ पर सवार होकर अपना पहला प्रवास शुरू किया था। इस दिन को सूर्य देव के रथ यात्रा की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है।
रथ सप्तमी के दिन भक्त सूर्य देव की पूजा करते हैं। वे सूर्य देव को जल, फूल, फल, चंदन और दीप अर्पित करते हैं। वे सूर्य देव के मंत्रों का जाप भी करते हैं। कुछ भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं।
रथ सप्तमी के दिन भारत में कई स्थानों पर मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध मेला कुरुक्षेत्र में आयोजित होता है। इस मेले में लाखों भक्त भाग लेते हैं।
पहली कथा – भगवान सूर्य का रथ:
इस कथा के अनुसार, रथ सप्तमी के दिन ही सूर्य देव ने सात अश्वों द्वारा खींचे गए अपने रथ पर सवार होकर अपनी पहली यात्रा प्रारंभ की थी। इन सात अश्वों का प्रतिनिधित्व इंद्रधनुष के सात रंगों से होता है। इसलिए रथ सप्तमी को सूर्य जयंती (सूर्य देव के जन्मदिन) और रथारूढ़ सूर्य देव के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है।
दूसरी कथा – श्रीकृष्ण के पुत्र सांब:
यह कथा द्वापर युग से जुड़ी है। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण भयानक कोढ़ हो गया था। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए सांब ने रथ सप्तमी के दिन से सूर्य देव की कठोर उपासना आरंभ की। सूर्य देव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया। तभी से रथ सप्तमी को सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है।
कुछ अन्य कथाएँ भी प्रचलित हैं, जिनमें रथ सप्तमी को राजा नहुष के स्वर्गारोहण का दिन बताया गया है।
कुल मिलाकर, रथ सप्तमी की पौराणिक कथाएँ सूर्य देव के महत्व और उनकी कृपा पाने के मार्गों पर प्रकाश डालती हैं। इन कथाओं के माध्यम से सूर्य देव की उपासना करने का प्रोत्साहन मिलता है, ताकि जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त हो सके।
रथ सप्तमी का उत्सव भारत में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, खासकर उत्तर भारत में. यहां कुछ मुख्य परंपराएं हैं:
पूजा-पाठ:
- लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को जल अर्घ्य देते हैं. इस दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्य गायत्री मंत्र का जाप भी किया जाता है.
- घरों में सूर्य देव की प्रतिमा बनाकर या सूर्य यंत्र को रखकर उनकी विधिवत पूजा की जाती है, जिसमें तिल, रोली, कुंकुम, धूप, दीप आदि सामग्री चढ़ाई जाती है.
- कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं.
त्योहारी उल्लास:
- कई जगहों पर विशेष रूप से सूर्य देव को समर्पित रथोत्सव का आयोजन किया जाता है. इन रथों को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है और इन्हें शहर में घुमाया जाता है.
- लोग रंगीन कपड़े पहनकर उत्सव में शामिल होते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मिठाई बांटते हैं.
- इस दिन गेहूं, गुड़, तांबे के बर्तन और लाल कपड़े दान करने का विशेष महत्व माना जाता है.
- कुछ क्षेत्रों में, हवन यज्ञ और यज्ञ भी किए जाते हैं.
स्थानीय परंपराएं:
- कुरुक्षेत्र में रथ सप्तमी का बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं.
- बिहार में इस दिन को “छठी” के रूप में मनाया जाता है और सूर्य देव को खीर का भोग लगाया जाता है.
- गुजरात में, लोग तांबे के बर्तनों में पानी भरकर रखते हैं और सूर्योदय के समय उसका उपयोग करते हैं, जिसे “सूर्य दर्शन” के रूप में जाना जाता है.
यह तो रथ सप्तमी के कुछ प्रमुख उत्सव के तरीके हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी रस्में और परंपराएं थोड़ी-बहुत भिन्न हो सकती हैं.
रथ सप्तमी के अवसर पर सूर्य देव की स्तुति के लिए कई स्तोत्र मौजूद हैं। यहाँ कुछ लोकप्रिय स्तोत्र दिए गए हैं:
आदित्य हृदय स्तोत्र:
यह महाभारत ग्रंथ से लिया गया एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका जप करने से स्वास्थ्य, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।। स भूमिं विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद् दशान्गुले।। (यजुर्वेद 31.1)
सूर्य स्तुति:
यह एक सरल स्तोत्र है जिसे कोई भी आसानी से जप सकता है।
या देवी सर्वभूतेषु सूर्य रूपेण संस्थिता।। नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते सूर्य देवता।। (बृहदारण्यक उपनिषद 5.5)
सूर्य गायत्री मंत्र:
यह सूर्य देव का सर्वोच्च मंत्र माना जाता है।
ॐ आदित्याय विदमहे जगतस्थान्प धिमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात्।।
सूर्य बीज मंत्र:
यह एक बीज मंत्र है जिसे जपने से मन को शांति मिलती है।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
अन्य स्तोत्र:
- सूर्याष्टक
- रविवार पूजा स्तोत्र
- सूर्य मंगल स्तोत्र
आप इन स्तोत्रों के अलावा रथ सप्तमी के विशेष स्तोत्र भी जप कर सकते हैं। ये स्तोत्र आपको किसी मंदिर या वेद पुस्तकों में मिल सकते हैं।
ध्यान दें:
स्तोत्रों का जप करते समय मन शुद्ध और एकाग्र रखें। आप एक ही स्तोत्र का कई बार जप कर सकते हैं या अलग-अलग स्तोत्रों का जप कर सकते हैं। जो भी रास्ता आपको अच्छा लगे उसे अपनाएं।
आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। रथ सप्तमी की शुभकामनाएं!